Bihar me Badh Ki Samasya | Bihar Flood का कारण और समाधान

बिहार में हर साल बाढ़: कारण और समाधान

बिहार में बाढ़ की स्थिति हर साल गंभीर और बढ़ती जा रही है। मानसून के आते ही बिहार राज्य के कई क्षेत्र जलमग्न हो जाते हैं। जिसकी वजह से लाखों लोग प्रभावित होते हैं। इस वर्ष भी बाढ़ की समस्यां (Flooding problem) उत्तर बिहार के 19 जिलों देखने को मिल रही है। इससे लगभग 12 लाख से अधिक प्रभावित हो चुकें है। Bihar Flood से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले पश्चिमी चंपारण, सारण, किशनगंज, अररिया, सहरसा, और मधेपुरा आदि हैं।

नेपाल का योगदान

बिहार में बाढ़ (Flood) आने का सबसे मुख्य कारण नेपाल से आने वाली नदियाँ हैं, जिनमें से कोसी सबसे प्रमुख है। कोसी नदी को ‘बिहार का शोक‘ भी कहा जाता है, क्योंकि कोसी नदी (kosi river) हर साल बड़ी मात्रा में तबाही मचाती है और लाखों लोगों को प्रभावित करती। इसकी वजह से बहुत से लोगों के घर नदी में बह जाते हैं और उनके जान-माल का बहुत अधिक नुक्सान होता है। यह नदी नेपाल के हिमालय (Himalaya) से निकलती है और बिहार में प्रवेश करने से पहले नेपाल के बड़े क्षेत्रों में बहती है। नेपाल में जब भी बारिश होती है, तो वहां से पानी बिहार की ओर छोड़ दिया जाता है, जिससे बाढ़ का खतरा बिहार में और अधिक बढ़ जाता है।

इसके अलावा, नेपाल से निकलने वाली और भी कई नदियां है जैसे कमला बलान, बागमती, और गंडक। यहां से भी बहुत अधिक मात्रा में पानी बिहार की ओर छोड़ी जाती है जसके वजह से बाढ़ की स्थिति बिहार में और भी गंभीर हो जाती हैं।

नेपाल की ऊँचाई और Bihar Flood समस्या

नेपाल देश की ऊँचाई भारत के Bihar राज्य के मुकाबले अधिक है जिसके कारण वहां से आने वाला पानी बिहार के मैदानी क्षेत्रों (Plains Areas) में फैल जाती है जिसकी वजह से बिहार में भारी तबाही मचाती है।

बहुत से Professors का कहना है कि यदि बिहार में बाढ़ की समस्यां (flood problems) को रोकना है तो नेपाल के कोसी नदी पर एक बांध बनाना चाहिए। हालांकि, नेपाल सरकार पर्यावरण (Environment) पर इसके प्रतिकूल प्रभावों के कारण इस प्रकार के परियोजना के लिए सहमत नहीं है।

फरक्का बैराज: Bihar Flood का एक अन्य कारण

बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ (Bihar Flood) का एक अन्य वजह यह भी है कि गंगा नदी पर फरक्का बैराज बना हुआ है। मानसून के बाद, गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ आने वाली गाद फरक्का बैराज में बहुत अधिक जमा हो जाती है, जिसके कारण गंगा नदी का पानी उफनने लगता है और Flood की स्थिति Bihar में उत्पन्न हो जाती है।

बिहार जलमग्न: बाढ़ की वजह

बिहार हर साल बाढ़ की त्रासदी (Tragedy) झेलता है। खासकर के उत्तर बिहार के कुछ जिले। इस वर्ष की बाढ़ ने बिहार के लगभग 12 लाख लोगों को प्रभावित किया है। इसमें से बहुत से लोग तो अपने घरों से बेघर हो चुके हैं। वे इस समय राहत शिविरों (relief camps) में रहने के लिए मजबूर हो चुके हैं। बहुत से लोग तथा पुश तो बाढ़ में बह चुके है। बिहार में बाढ़ा आने का एक मुख्य वजह बिहार की भौगोलिक स्थिति और दशकों पुराने असफल समाधान भी है।

भौगोलिक स्थिति और बाढ़ का खतरा

चूंकि बिहार की स्थिति नेपाल के नीचे है, जिससे हर साल नेपाल में होने वाली बारिश का पानी बिहार की नदियों बहुत तेजी से आने लगता है। बिहार की नदियाँ (Rivers of Bihar) जैसे कोसी, गंडक, बागमती आदि – हिमालयी तलछट से भरी रहती हैं, जिससे इनमें अचानक बाढ़ (Bihar Flood) आने का खतरा बना रहता है। पिछले कई वर्षो के बाढ़ के अध्यान से पता चला है कि बिहार में 76% जनसंख्या (76% population) बाढ़ के खतरे में अपना जीवन गुजारा करती है।

तटबंधों की समस्या

वर्ष 1950 में कोसी नदी को नियंत्रित करने और बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए तटबंध बनाए गए थे, लेकिन ये समाधान असफल साबित हुए थे। तटबंधों के बनने के कारण नदियों के तल हर साल ऊँचे होते जा रहे हैं, जिससे बाढ़ की संभावना (Possibility of flooding) और अधिक बढ़ रही है। कोसी नदी के तटबंधों ने लगभग 15 लाख से अधिक लोगों के जीवन को बाढ़ की चपेट में डाल दिया है, जो हर साल बाढ़ का सामना कर रहे हैं।

बाढ़ का बिहार पर प्रभाव

बिहार में बाढ़ आने से न केवल यहां पर रहने वाले लोगो के जीवन और संपत्ति का नुकसान होता है, बल्कि यहां के मुख्य बिजनेस जिसमें पशुपालन और किसानी (Animal husbandry and farming) आदि है उसका भी बहुत आधिक नुक्सान होता है। यहीं कारण है कि बिहार जितना साल भर में तरक्की करता है उतना से ज्यादा नुक्सान झेल लेता है। तभी आज बिहार भारत के कई राज्यों से पिछला हुआ है। इसके अलावा, बाढ़ की वजह से बिहार में पलायन बढ़ता जा रहा है। जिसकी वजह से बिहार में आर्थिक संकट (Economic crisis) और गहरा जा रहा है।

बिहार राज्य सरकार हर साल बाढ़ से राहत दिलाने के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये खर्च करती है, लेकिन यह समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है।

Bihar Flood | बिहार में हर साल बाढ़: कारण और समाधान | Current Affairs

Bihar Flood से संबंधति जानकारी लेने के लिए नीचे दी जा रही वीडियो को ध्यान पूर्वक देंखे।

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बिहार की बाढ़ की समस्या का क्या समाधान हो सकता है?

  1. सरकारी कदम: बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए बिहार राज्य सरकार को कोसी, गंडक और बागमती आदि नदियों पर अतिरिक्त बैराज का निर्माण (Construction of the barrage) करने के लिए एक योजना बनाकर काम करना चाहिए। नेपाल देश के सहयोग से बाढ़ नियंत्रण के बड़े इनजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  2. गैर-संरचनात्मक समाधान: बिहार को बाढ़ (Flood) से बचने के लिए सिर्फ तटबंधों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा। बल्कि बाढ़ की समस्या (Flooding problem) को हल करने के लिए गैर-संरचनात्मक समाधान जैसे कानून, नीति, जागरूकता और लोगों को प्रशिक्षण आदि पर जोर देना चाहिए।
  3. बिहार के जनता के लिए सुझाव: लोगों को बाढ़ के दौरान सुरक्षित स्थानों पर जाने की योजना पहले से ही बाना लेनी चाहिए क्योंकि उनको पता है कि हर साल बाढ़ आति है। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए बिहार राज्य और केंद्र सरकार को पुनर्वास की स्थायी योजना (permanent rehabilitation plan) पर कार्य करना चाहिए।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

बिहार में हर साल बाढ़ का मुख्य कारण क्या है?

बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ (Flood) का मुख्य कारण Nepal से आने वाली नदियाँ जैसे कोसी, गंडक और बागमती हैं, जो भारी बारिश के बाद पानी, किचड़ और गाद आदि को बिहार के मैदानी इलाकों में फैला देती है जिससे बाढ़ की समस्या बिहार में उत्पन्न हो जाती हैं।

नेपाल का बिहार की बाढ़ में क्या योगदान है?

नेपाल की ऊँचाई बिहार की तुलना में अधिक है जिसकी वजह से वहां की नदियाँ जैसे कोसी, गंडक और बागमती आदि नदी से पानी बिहार की ओर भेजता है, जिससे हर साल बाढ़ का खतरा बन जाता है।

फरक्का बैराज का बिहार की बाढ़ से क्या संबंध है?

फरक्का बैराज गंगा नदी पर बना है, बारिश होने के बाद यहां पर गाद जमा हो जाता है जिसके कारण गंगा में पानी का स्तर औसत से बहुत अधिक बढ़ जाता है और बाढ़ की स्थिति बिहार में उत्पन्न हो जाती है।

बिहार को बाढ़ से बचने के लिए क्या समाधान हो सकते हैं?

बिहार को बाढ़ से बचने के लिए तटबंधों के साथ-साथ गैर-संरचनात्मक समाधान जैसे नीति निर्माण, जागरूकता और लोगों का पुनर्वास योजनाओं की आवश्यकता है। इसके अलावा नेपाल के सहयोग से नदियों पर बैराज बनाए जाने चाहिए।

बिहार में हर साल बाढ़ से कितने लोग प्रभावित होते हैं?

बिहार में हर साल लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित होते हैं। इस वर्ष भी लगभग 12 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए है, ये इस समय राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं।

निष्कर्ष

बिहार को बाढ़ से बचने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार को दीर्घकालिक समाधान (Long Term Solutions) ढूंढने की आवश्यकता है। क्योंकि बिहार हर साल बाढ़ की वजह से तरक्की से पिछड़ता जा रहा है। वहां पर जितना तरक्की नहीं देखने को मिलता है उससे ज्यादा तो बाढ़ से नुक्सान देखने को मिलता है। बाढ़ नियंत्रण के इंजीनियरिंग और गैर-रचनात्मक (Engineering and Non-Structural) दोनों समाधानों को अपनाकर ही इस समस्या का स्थायी हल निकाला जा सकता है। बिहार के जनता को भी सरकार के साथ मिलकर बाढ़ से निपटने की तैयारी करनी होगी ताकि जन-धन की हानि (loss of life and wealth) को कम किया जा सके।