Katchatheevu: India Sri Lanka border issue
नमस्कार छात्रों, आज का हमारा टोपिक है कच्चाथीवू द्वीप विवाद (Katchatheevu: India Sri Lanka border issue)। मैं वी.एस. चंद्रवंशी और श्रीमान सत्यनारायण गुरु जी ने इस विषय पर रिसर्च करके यह लेख लिखा है। इसके बारे में बताने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि आज के समय में जितने भी प्रतियोगी परीक्षा हो रही है उसमें इससे संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं क्योंकि यह एक राजनीति का मुद्दा बन चुका है और Katchatheevu से संबंधित प्रश्न current affairs में अधिक पढ़ाई जा रही है।
मेरी टीम का मानना है कि यदि आप कच्चाथीवू द्वीप विवाद का विष्य छोड़ते हैं तो हो सकता है कि परीक्षा में इससे संबंधित प्रश्न आ जाये और आप जानकारी के अभाव में उसका सही उत्तर न दे पाये। सुपरथर्टी का हमेशा से ही एक मकसद रहा है कि आपको आपके परीक्षा में सफलता दिलाने के लिए प्रयास करें। चलिए अब यहां पर जानते हैं कि कच्चाथीवू द्वीप की कहानी क्या है?
कच्चाथीवू द्वीप की कहानी तथा परीक्षा के लिए नोट्स
- कच्चा तीव तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच एक दीप है जो 285 एकड़ में फैला हुआ है। इसके साथ बहुत सारा द्वीप है।
- इसे” पाक जलडमरू मेथी” कहते हैं। इसकी खासियत एक यह है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ता है।
- कहा जाता है कि यह 14 वीं शताब्दी मैं एक ज्वालामुखी का विस्फोट हुआ तब कच्चाथीवू का बिस्तार और द्वीप का निर्माण हुआ।
- कच्चाथीवू द्वीप से रामेश्वरम की दूरी तथा श्रीलंका के जाफना जिला की दूरी बहुत कम है।
- इसे पाक जलडमरू मेथी कहा जाता था, लेकिन इसे राबर्ट भी कहते हैं क्योंकि राबर्ट पार्क 1755-1763 तक मद्रास के गवर्नर थे, उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम राबर्ट पार्क पड़ा।
- कहा जाता है कि 19वी शताब्दी में यह जो हिस्सा था वह रामनाथ सम्राज्य के इलाके में आ गया जो कच्चा तीव क्षेत्र कहलाता है। वहाँ के राजा रामनाथ थे वही यहां पर शासन करते थे। उन्हीं के तरफ से इस द्वीप पर कर की वसूली की जाती थी। वहाँ के राजा Tax वसुल करके एक हिस्सा यूनाइटेड किंगडम की सरकार को देते थे।
- 1913 ई० में राजा रामनाथ तथा सरकार के बीच एक एग्रीमेण्ट हुआ और इसमे साफ-साफ-सु कहा गया कि कच्चा तीव भारत का हिस्सा है। लेकिन धीरे-धीरे 1921 ई० में भारत और श्रीलंका के बीच कच्चा तीव को लेकर कुछ विवाद उत्पन्न हुआ और विवाद बढ़ता चला गया। जिसमें दोनों देश इसे अपना द्वीप मानने लगे।
- 1974 ई० में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थी और उस समय भारत और श्रीलंका के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते में कच्चा तीब श्रीलंका को दे दिया गया था। एक समुद्री रेखा खीचकर ये बताया गया था कि कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका का हिस्सा है।
- नक्शे में कच्चातीवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया गया था। इसे लेकर उस समय संसद में काफी विवाद हुआ था और कई नेताओं ने इसका विरोध किया था और आपत्ति जताते हुए कहा था कि कच्चातीवु द्वीप भारत का होना चाहिए। तब से लेकर अब तक कच्चाथीवू द्वीप विवाद सुलझने का नाम ही नहीं ले रहा है।
चलिए कच्चाथीवू द्वीप की वजह से भारत-श्रीलंका का विवाद को समझने के लिए श्रीमान सत्यनारायण तिवारी जी के इस विडियो को देखते हैं-
Video: कच्चाथीवू द्वीप पर सियासत जारी | Katchatheevu Island | PM मोदी का जिक्र क्यों?
हमारी टीम अब यह आशा करती है कि आपको Katchatheevu: India Sri Lanka border issue पूरी तरह से समझ आ गया होगा। इसी तरह के लेख और विडियो को देखने के लिए Superthirty.Com को विजिट करते रहें। धन्यवाद।